काव्य-सौंदर्य लिखिए-

पहुन ज्यों आए हों गांव में शहर के।


मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।

कविता द्वारा रचित प्रस्तुत पंक्तियों में काव्य सौंदर्य निम्न प्रकार से है-

कविता की प्रस्तुत पंक्तियों में गांव में मेघ रूपी मेहमान के आने का बड़ा ही अनुपम चित्रण किया गया है। हम इन पंक्तियों में गांव में एक साल के अंतराल पर आने वाली वर्षा का वर्णन पूरे एक साल के बाद गाँव में आने वाले मेहमान से किया गया है|


कविता में आम बोलचाल की भाषा का खुलकर प्रयोग हुआ है। कहने का अर्थ है कविता आंचलिक बोली अथवा भाषा से भरी पडी है। कविता का शिल्प सौन्दर्य बेहतरीन है|


कविता में मेघों की तुलना मेहमान से की गई है। यहां पर हमें उत्प्रेक्षा अलंकार देखने को मिलता है।


कविता में आयी पंक्तियों में हमें मानवीकरण एवं अनुप्रास अलंकार का सुन्दर प्रयोग भी देखने को मिलता है|


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